सार
न्यायाधीश दीपंकर दत्ता और न्यायाधीश जीएस कुलकर्णी की पीठ ने राज्य और केंद्र सरकार को 'कॉमन कार्ड' जारी करने का सुझाव भी दिया। अदालत ने कहा कि इस तरह के कार्ड से उन लोगों की पहचान करने में आसानी होगी, जो कोरोना की दोनों डोज लगवा चुके हैं।
विस्तार
देश में लाखों लोग कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके हैं, लेकिन काफी लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने कोरोना रोधी टीका नहीं लगवाया है। इसके चलते बॉम्बे उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से ऐसे लोगों की पहचान का तरीका ढूंढने पर विचार करने के लिए कहा है। अदालत ने सुझाव दिया कि कोरोना की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को 'कॉमन कार्ड' जारी किया जाए, जिससे वे बिना किसी प्रतिबंध के यात्रा कर सकें।
राज्य सरकार से कही यह बात
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा कि वह उन लोगों को लोकल ट्रेनों में सफर की इजाजत देने पर विचार करे, जो कोरोना रोधी टीके की दोनों डोज लगवा चुके हैं। उनके लिए यात्रा संबंधी सुविधाएं उस तरह सामान्य कर दी जाएं, जैसे वे महामारी से पहले इस्तेमाल करते थे।
कॉमन कार्ड जारी करने का दिया सुझाव
न्यायाधीश दीपंकर दत्ता और न्यायाधीश जीएस कुलकर्णी की पीठ ने राज्य और केंद्र सरकार को 'कॉमन कार्ड' जारी करने का सुझाव भी दिया। अदालत ने कहा कि इस तरह के कार्ड से उन लोगों की पहचान करने में आसानी होगी, जो कोरोना की दोनों डोज लगवा चुके हैं। साथ ही, उन्हें बेरोकटोक सफर और काम करने इजाजत दी जाए।
महाराष्ट्र सरकार ने दिया यह जवाब
बता दें कि बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें वकीलों, न्यायिक क्लर्क, कर्मचारियों, पत्रकारों और वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को मुंबई लोकल में सफर करने की इजाजत देने की मांग गई। महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रख रहे एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोणि ने बताया कि वकीलों और पंजीकृत न्यायिक क्लर्कों के लिए एसडीएमए की ओर से एक पत्र जारी किया गया, जिसके तहत रेलवे उन्हें लोकल ट्रेनों में सफर करने के लिए पास देगा।