किसी क्षेत्र विशेष के उत्पादों को जियोग्रॉफिल इंडीकेशन टैग (जीआई टैग) से खास पहचान मिलती है. चंदेरी की साड़ी, कांजीवरम की साड़ी, दार्जिलिंग चाय और मलिहाबादी आम समेत अब तक 300 से ज्यादा उत्पादों को जीआई मिल चुका है.
जीआई टैग किसी उत्पाद की गुणवत्ता और उसके अलग पहचान का सबूत है. कांगड़ा की पेंटिंग, नागपुर का संतरा और कश्मीर का पश्मीना भी जीआई पहचान वाले उत्पाद हैं. वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है। भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
जीआई टैग को औद्योगिक संपत्ति के संरक्षण के लिये पेरिस कन्वेंशन (Paris Convention for the Protection of Industrial Property) के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) के एक घटक के रूप में शामिल किया गया है। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और सरंक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ।
S.N.
सम्बंधित राज्य/क्षेत्र
सम्बंधित राज्य/क्षेत्र
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बिहार
शाही लीची, जरदालू आम, कतरनी चावल, मधुबनी, पेंटिंग मखाना, मगही पान